निलंबित IAS रानू साहू की मुश्किलें नहीं हो रहीं कम
रायपुर। निलंबित आईएएस अधिकारी रानू साहू की मुश्किलें कम होने का नाम नहीं ले रही हैं। डीएमएफ (जिला खनिज निधि) घोटाले में उनकी अग्रिम जमानत याचिका को बुधवार को एसएबीआई और ईओडब्ल्यू की विशेष अदालत ने खारिज कर दिया। मंगलवार को इस याचिका पर दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद अदालत ने निर्णय सुरक्षित रख लिया था।
अभियोजन पक्ष ने कोर्ट को बताया कि डीएमएफ घोटाले में रानू साहू और उनकी करीबी माया वारियर की भूमिका संदिग्ध है। माया वारियर को पहले ही गिरफ्तार कर रिमांड पर लिया जा चुका है, और उनसे मिली जानकारी के आधार पर जांच आगे बढ़ रही है। अभियोजन ने तर्क दिया कि यदि रानू साहू को जमानत दी गई, तो इससे जांच और साक्ष्य प्रभावित हो सकते हैं।
दूसरी ओर, बचाव पक्ष ने ईडी की एफआईआर पर सवाल उठाते हुए कहा कि रानू साहू का इस मामले से कोई संबंध नहीं है और एफआईआर गलत तरीके से दर्ज की गई है। दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद अदालत ने जमानत याचिका खारिज करने का फैसला सुनाया।
एसएबीआई और ईओडब्ल्यू की विशेष अदालत ने पूर्व महाधिवक्ता सतीशचंद्र वर्मा की अग्रिम जमानत याचिका को भी खारिज कर दिया। वर्मा पर अपने पद का दुरुपयोग करने का गंभीर आरोप है, जिसके तहत उनके खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई है। अभियोजन पक्ष ने अदालत को बताया कि प्रकरण की गंभीरता को देखते हुए जमानत देना जांच प्रक्रिया पर असर डाल सकता है। अदालत ने इस तर्क को स्वीकार करते हुए जमानत देने से इंकार कर दिया।
आय से अधिक संपत्ति मामले में फंसीं पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की डिप्टी सचिव रहीं सौम्या चौरसिया की नियमित जमानत याचिका भी बुधवार को कोर्ट ने खारिज कर दी। सौम्या चौरसिया को कोयला घोटाले के आरोप में गिरफ्तार किया गया था और वह वर्तमान में रायपुर जेल में बंद हैं।
जिला खनिज फाउंडेशन (डीएमएफ) एक ट्रस्ट है, जो छत्तीसगढ़ के सभी जिलों में गैर-लाभकारी संस्था के रूप में स्थापित है। इसका उद्देश्य खनन से प्रभावित व्यक्तियों और क्षेत्रों के हित में काम करना है। डीएमएफ को खनिकों के योगदान से वित्त पोषित किया जाता है, ताकि खनन गतिविधियों से प्रभावित समुदायों को सहायता और लाभ मिल सके।