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ननों की गिरफ्तारी पर गरमाई सियासत: पूर्व राज्यसभा सांसद बृंदा करात ने कहा- एजेंडे के तहत किया गया केस, रद्द की जाए FIR

रायपुर। छत्तीसगढ़ में धर्मांतरण और मानव तस्करी के आरोप में केरल की दो ननों की गिरफ्तारी के बाद राज्य की सियासत को गरमा गई है। आज लेफ्ट डेमोक्रेटिक फ्रंट (LDF) से सीपीआई (एम) की पूर्व राज्य सभा सांसद बृंदा करात, सांसद के. राधाकृष्णन, जोस के. मनी, ए.ए. रहीम, पी.पी. सुनीर और सीपीआई नेता एनी राजा ने जेल में बंद ननों से मुलाकात कर उनका हाल जाना। इसके बाद प्रतिनिधिमंडल ने रायपुर प्रेस क्लब में प्रेसवार्ता कर मामले में कड़ी प्रतिक्रिया देते हुए इस कार्रवाई को अल्पसंख्यकों के अधिकारों का हनन बताया साथ ही पुलिस और बजरंग दल के कार्यकर्ताओं पर गंभीर आरोप लगाए है।

प्रेसवार्ता के दौरान पूर्व सांसद और माकपा नेता बृंदा करात ने बताया कि आज जेल में ननों से मुलाकात हुई और जिन लड़कियों को लेकर विवाद हुआ, उनके परिजनों से भी फोन पर बात की गई। बृंदा करात ने आरोप लगाया कि राज्य में अल्पसंख्यकों के संवैधानिक अधिकारों को कुचला जा रहा है। उन्होंने कहा, “क्या छत्तीसगढ़ में अलग कानून चलता है जहां बजरंग दल और आरएसएस के लोग कानून को हाथ में ले रहे हैं?”

पूर्व सांसद बृंदा करात ने दावा किया कि बजरंग दल के कार्यकर्ताओं ने आदिवासी लड़कियों को मारा-पीटा और जबरन कहलवाया कि वे अपनी मर्जी से नहीं जा रही थीं। गिरफ्तार की गई दोनों नन भारतीय नागरिक हैं और कई वर्षों से सामाजिक सेवा में लगी हुई थीं। करात ने कहा कि ननों को पुलिस के सामने अपशब्द कहे गए, उनका अपमान किया गया। उन्होंने इसे पूरी तरह से झूठा मामला बताया और कहा कि यह एक खास एजेंडे के तहत रचा गया है।

उन्होंने मांग की कि ननों पर दर्ज एफआईआर को तत्काल रद्द किया जाए और हमला करने वालों व ड्यूटी पर मौजूद पुलिसकर्मियों पर कार्रवाई हो। करात ने बताया कि दोनों ननों की तबीयत खराब है और वे केरल की मूल निवासी हैं, विदेशी नहीं हैं। इस मुद्दे पर केरल के मुख्यमंत्री ने प्रधानमंत्री को चिट्ठी लिखकर हस्तक्षेप की मांग की है। प्रेस वार्ता में मौजूद अन्य सांसदों और नेताओं ने भी इस पूरे मामले को “स्क्रिप्टेड” बताया और इसे अल्पसंख्यकों के अधिकारों के खिलाफ करार दिया।

गौरतलब है कि मंगलवार को प्रतिनिधिमंडल रायपुर पहुंचा था और जेल जाकर ननों से मिलने की कोशिश की, लेकिन उन्हें मिलने की अनुमति नहीं मिली। वहीं आज अनुमति मिलने के बाद वे जेल गए और फिर प्रेस क्लब में पत्रकारों से बात की।

बजरंग दल द्वारा छत्तीसगढ़ बंद बुलाए जाने पर बृंदा करात ने तीखा जवाब देते हुए कहा, “आप कहीं भी बंद कर लीजिए, लेकिन संविधान को बंद नहीं किया जा सकता। छत्तीसगढ़ बंद हो सकता है, संविधान बंद नहीं होगा।”

पूर्व राज्य सभा सांसद बृंदा करात ने कहा कि इस मामले में एफआईआर गैरकानूनी और गुंडागर्दी के दबाव में की गई। किसी भी गिरफ्तारी से पहले निष्पक्ष जांच होनी चाहिए थी। उन्होंने कहा कि “हम ही मानव तस्करी के खिलाफ कानून बनाने वाले लोग हैं। कोई भी युवती नौकरी की तलाश में कहीं भी जा सकती है। उन्हें तीन दिनों तक परिवार से अलग रखा गया, जो गलत है।” प्रेसवार्ता के अंत में प्रतिनिधिमंडल ने घोषणा की कि वे मुख्यमंत्री से मिलकर इस मामले में ज्ञापन सौंपेंगे।

बता दें कि 25 जुलाई को दुर्ग रेलवे स्टेशन पर बजरंग दल के कार्यकर्ताओं ने मानव तस्करी और धर्मांतरण का आरोप लगाते हुए दो ननों और एक युवक को रोका था। आरोप था कि तीनों, नारायणपुर जिले की तीन लड़कियों को बहला-फुसलाकर आगरा ले जा रहे हैं। कार्यकर्ताओं ने रेलवे स्टेशन पर नारेबाजी करते हुए सभी को GRP के हवाले कर दिया था। GRP थाना भिलाई-3 के अंतर्गत दुर्ग जीआरपी चौकी में मामले की जांच के बाद धर्मांतरण की धारा 4 के तहत मामला दर्ज कर तीनों को न्यायिक रिमांड पर जेल भेज दिया था।

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