देश विदेशरोजगार समाचार

जीएसटी परिषद की बैठक जल्द: दरों को युक्तिसंगत बनाने के साथ, मुआवजा उपकर पर भी होगा विचार!

वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) परिषद की अगली बैठक में दरों को उचित बनाने और मुआवजा उपकर के भविष्य पर चर्चा होगी। बैठक की तारीख जल्द घोषित कर दी जाएगी। एक वरिष्ठ सरकारी अधिकारी ने नाम नहीं छापने की शर्त पर यह जानकारी देते हुए बताया इन विषयों पर प्रमुखता से चर्चा होनी है। अधिकारी ने कहा, ‘मंत्रियों के समूह ने रिपोर्ट पेश कर दी है। जीएसटी को सरल बनाने के मामले में 3 या 4 अलग अलग पहलू हैं। हम मुआवजा उपकर, दर वाजिब बनाने और सरलीकरण पर विचार करेंगे।’

अधिकारी ने कहा कि स्थापित मानदंड के मुताबिक राज्यों को 3 सप्ताह का वक्त देने के बाद बैठक होगी। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण की अध्यक्षता में पिछले साल दिसंबर में हुई जीएसटी परिषद की बैठक में दरों को तार्किक बनाने और स्वास्थ्य एवं जीवन बीमा की दरों में कमी किए जाने के मसले को शामिल नहीं किया गया था।

बिहार के उप मुख्यमंत्री सम्राट चौधरी दरें वाजिब करने के लिए बने मंत्रिसमूह के संयोजक हैं। मुआवजा उपकर पर बने मंत्रिसमूह की अध्यक्षता वित्त राज्य मंत्री पंकज चौधरी कर रहे हैं। यह समूह मार्च 2026 के बाद मुआवजा उपकर के भविष्य पर फैसला करेगा।

अभी तक विलासिता वाले उत्पादों और हानिकारक वस्तुओं पर उपकर लगाया जा रहा है, लेकिन इसका इस्तेमाल कोविड के दौरान लिया गया कर्ज चुकाने में हो रहा है ताकि राज्यों को जीएसटी राजस्व में हुए नुकसान की भरपाई की जा सके। मंत्रिसमूह अब अध्ययन कर रहा है कि उपकर से प्राप्त राजस्व को किसी अन्य रूप में कैसे रखा जाए तथा इसे केंद्र और राज्यों के बीच किस प्रकार साझा किया जाए।

भारत की वृद्धि के बारे में अधिकारी ने कहा कि अभी यह अप्रभावित है और रेटिंग एजेंसियों और बहुपक्षीय ऋण एजेंसियों ने मामूली फेरबदल के साथ वृद्धि का अनुमान एकसमान रखा है। अधिकारी ने कहा, ‘मॉनसून सामान्य से ऊपर रहने के अनुमान और बेहतर कृषि उत्पादन के कारण खपत में तेजी की संभावना है।’

क्रिप्टो करेंसी के बारे में अधिकारी ने कहा कि यह अभी भी बदलता क्षेत्र है। अधिकारी ने कहा, ‘जब तक विभिन्न देशों में इसे लेकर सहमति नहीं बन जाती, कोई भी कानून सफल नहीं होगा।’

प्रधानमंत्री इंटर्नशिप कार्यक्रम को लेकर अधिकारी ने कहा कि इसमें कंपनियों की रुचि बढ़ रही है और प्रायोगिक परियोजना के अनुभव के आधार पर मंत्रिमंडल इसमें कुछ फेरबदल करेगा। सूत्र ने कहा कि योजना के तहत 2 प्रायोगिक परियोजनाएं पहले ही चल रही हैं और उद्योग संगठन जैसे भारतीय उद्योग परिसंघ और इंडियन चैंबर ऑफ कॉमर्स ऐंड इंडस्ट्री और शीर्ष 500 में शामिल कंपनियां भी आगे आई हैं और योजना में उनकी रुचि बढ़ी है।

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button