जयपुर के इस मंदिर में चिट्ठी लिखकर मांगी जाती है मन्नत, गणेश उत्सव पर जरूर करें दर्शन

भारत में गणेश चतुर्थी का उत्सव बहुत ही धूमधाम और हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है। इस दिन गली-मोहल्ला, घर और मंदिरों में गणपति बप्पा के पंडाल स्थापित किए जाते हैं। आज हर जगह लोग बप्पा का आगमन कर रहे हैं। जिसके बाद अनंत चतुर्दशी को विसर्जन के साथ बप्पा को विदाई दी जाती है।
भगवान गणेश की पूजा किसी भी शुभ कार्य से पहले की जाती है क्योंकि उन्हें मंगलकर्ता और विघ्नहर्ता का दर्जा प्राप्त है। देशभर में उनके कई मंदिर हैं जिनमें से कुछ अपनी परंपराओं और विशेषताओं की वजह से खास पहचान रखते हैं। इसी तरह राजस्थान के जयपुर में स्थित गढ़ गणेश मंदिर भी है।
कब हुआ गढ़ मंदिर का निर्माण
जयपुर का गढ़ गणेश मंदिर यहां पर बाल रुप यानी बिना सूंड वाले गणेश जी के रुप में स्थापित किया गया है। माना जाता है कि गणपति बप्पा का यह अद्वितीय स्वरूप भक्तों के बीच आकर्षण का केंद्र है। इस मंदिर का निर्माण करीब 300 साल पहले महाराजा सवाई जयसिंह ने 18वीं शताब्दी में करवाया था। कहा जाता है कि इस मंदिर को महाराज ने इस तरह स्थापित किया था कि चंद्र महल से दूरबीन की मदद से सिटी पैलेस को देखा जा सके।
भगवान गणेश के इस प्रसिद्ध और अनोखे मंदिर परिसर में दो विशाल मूषक स्थापित हैं। जहां पर श्रद्धालु उनके कान में अपनी समस्याएं या इच्छा को उजागर करते हैं। माना जाता है कि मूषक भक्तों की बात को बप्पा तक पहुंचाने का काम करता है।
चिट्ठी लिखकर मांगी जाती है मन्नत
इस मंदिर को लेकर एक और दिलचस्प बात यह है कि यहां पर भक्त अपनी इच्छाओं की पूर्ति के लिए भगवान को चिट्ठी लिखकर जाते हैं। लोग अपने बच्चों की शादी, नई नौकरी, शुभ कार्य से जुड़े निमंत्रण पहले गणेश जी को यहीं भेजते हैं। यहां मंदिर के पते पर रोजाना सैकड़ों चिट्ठियां आती हैं। जो भगवान के चरणों में रखी जाती है।
इस मंदिर को चढ़ने के लिए आपको 365 सीढ़ियां चढ़नी पड़ती हैं क्योंकि यह काफी ऊंचाई पर बसा हुआ है। यह चढ़ाई थोड़ी थकान भरी होती है लेकिन मंदिर पहुंचकर लोगों को सुकून और शांति का अनुभव होता है। यहां से जयपुर शहर का दृश्य बहुत ही आकर्षक लगता है।




