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जन्माष्टमी 26 अगस्त को, द्वापरकाल जैसे बन रहे 4 विशेष संयोग

जन्माष्टमी 26 अगस्त को, द्वापरकाल जैसे बन रहे 4 विशेष संयोग भगवान श्रीकृष्ण के जन्म समय में भी थे ये विशिष्ट संयोग इस बार जन्माष्टमी पर श्री कृष्ण की भक्तों पर बरसेगी असीम फोटो : श्री कृष्ण : श्री कृष्ण की मनोहर प्रतिमा। पावापुरी, निज संवाददाता। इस वर्ष जन्माष्टमी का पर्व 26 अगस्त सोमवार को बड़े ही धूमधाम से मनाया जाएगा। यह दिन विशेष रूप से भगवान श्रीकृष्ण के जन्म के उपलक्ष्य में मनाया जाता है। उन्हें भगवान विष्णु के आठवें अवतार के रूप में पूजा जाता है। इस पावन अवसर पर भगवान श्रीकृष्ण की कृपा भक्तों पर विशेष रूप से बरसने वाली है। आचार्य पप्पू पांडेय ने बताया कि इस बार जन्माष्टमी पर चार ऐसे दुर्लभ संयोग बन रहे हैं, जो ठीक वैसे ही हैं जैसे श्रीकृष्ण के जन्म के समय थे। यह संयोग भक्तों के लिए अत्यधिक महत्वपूर्ण माने जा रहे हैं और इनका धार्मिक एवं ज्योतिषीय महत्व अत्यधिक है। कैसे पाएं भगवान श्रीकृष्ण का आशीर्वाद पंडित सूर्यमणि पांडेय ने कहा कि भगवान श्रीकृष्ण की कृपा पाने के लिए भक्त इस दिन विशेष रूप से उपवास रखें, मंदिर जाकर पूजा अर्चना करें।

श्रीकृष्ण की बाल लीलाओं का स्मरण करें। रात को 12 बजे भगवान श्रीकृष्ण के जन्मोत्सव के समय ‘महाआरती’ करें और श्रीकृष्ण से अपने जीवन में सुख, शांति और समृद्धि की कामना करें। इस दिन किया गया व्रत और उपासना जीवन में विशेष फल प्रदान करेगा और भगवान की कृपा सदैव बनी रहेगी। इस जन्माष्टमी श्रीकृष्ण की विशेष कृपा के साथ भक्तों के जीवन में आनंद, प्रेम और सफलता का संचार होगा। इस पावन अवसर पर भगवान श्रीकृष्ण के आशीर्वाद की प्राप्ति के लिए पूरी श्रद्धा और भक्ति से उनकी अराधना करें।

विशिष्ट चार संयोग : 1. रोहिणी नक्षत्र का संयोग : आचार्य ने बताया कि भगवान श्रीकृष्ण का जन्म रोहिणी नक्षत्र में हुआ था और इस वर्ष भी 26 अगस्त को यह नक्षत्र रहेगा। इस बार रोहिणी नक्षत्र रात 9 बजकर 10 मिनट से शुरू हो जाएगी। इस प्रकार अर्ध रात्रि में अष्टमी तिथि रोहिणी नक्षत्र साथ ही सोमवार का दिन मिल जाने से जयंती योग का उत्तम अवसर प्राप्त हो रहा है। रोहिणी नक्षत्र का स्वामी चंद्रमा है और चंद्रमा का संबंध मन और मनोभावों से होता है। इस नक्षत्र में जन्मे व्यक्तियों में तेज बुद्धि, आकर्षक व्यक्तित्व और उच्च मानसिक क्षमता होती है। इस संयोग के कारण इस दिन पूजा और उपासना का विशेष महत्व रहेगा।

2. अष्टमी तिथि का संयोग : भगवान श्रीकृष्ण का जन्म भाद्रपद मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को हुआ था। इस बार जन्माष्टमी के दिन भी अष्टमी तिथि का संयोग बन रहा है, जो इस पर्व को और भी पवित्र बनाता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, इस दिन व्रत और उपासना करने से भक्तों को विशेष फल की प्राप्ति होती है।

3. वृषभ राशि का संयोग : श्रीकृष्ण का जन्म वृषभ राशि में हुआ था और इस बार भी चंद्रमा वृषभ राशि में ही रहेगा। वृषभ राशि का स्वामी शुक्र है, जो प्रेम, सौंदर्य और भौतिक सुखों का कारक माना जाता है। इस राशि में चंद्रमा का गोचर भगवान श्रीकृष्ण की विशेष कृपा को दर्शाता है और इस संयोग का लाभ भक्तों को मिलेगा।

4. वसुदेव योग का संयोग : इस वर्ष जन्माष्टमी पर वसुदेव योग का संयोग भी बन रहा है। वसुदेव योग को अत्यधिक शुभ माना जाता है, क्योंकि यह योग भगवान श्रीकृष्ण के जन्म समय पर भी था। यह योग जीवन में समृद्धि, खुशहाली और सुख शांति का कारक है। इस योग के दौरान किया गया व्रत और उपासना भक्तों को जीवन में शांति और सफलता प्रदान करेगा। इन चार विशेष संयोगों के कारण इस वर्ष की जन्माष्टमी अत्यधिक महत्वपूर्ण हो गई है। भक्तगण इस पवित्र दिन पर भगवान श्रीकृष्ण की अराधना करते हुए उनके आशीर्वाद की प्राप्ति कर सकते हैं। इस दिन उपवास, पूजा-पाठ और विशेष रूप से आधी रात को श्रीकृष्ण जन्मोत्सव मनाने से भक्तों को विशेष फल की प्राप्ति होगी।

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