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छत्तीसगढ़ चुनाव के नतीजों पर विधायक और पूर्व मंत्रियों को दिल्ली बुलाने की तैयारी

रायपुर: छत्तीसगढ़ के निकाय चुनाव में कांग्रेस की पूरी तरह से हार हुई है. राजधानी रायपुर के साथ ही पूरे प्रदेश भर के निकायों में बीजेपी ने एकतरह से एकतरफा जीत हासिल की है. अब जीत के तमाम दावों के बीच ऐसे नतीजे कैसे आए इसे लेकर पार्टी के भीतर हड़कंप मचा हुए है. वहीं इसे लेकर कोई बड़ी समीक्षा बैठक नहीं हुई है. आलाकमान ने प्रभारी सचिव और सहसचिवों को जरिए एक इंटरनल रिपोर्ट तैयार की है. इस रिपोर्ट के मुताबिक टिकट बांटने में जो मापदंड तय किया गया था उसकी जमकर धज्जियां उड़ाई गई हैं. इस रिपोर्ट के मुताबिक प्रत्याशी चयन में पूर्व मंत्रियों और मौजूदा विधायकों ने अपने चहेतों को टिकट दिलाने एकतरफा अच्छी रिपोर्ट तैयार कराई थी. ज्यादातर ऐसे लोगों को टिकिट बांटी गई जो प्रत्याशी के तौर पर बहुत मजबूत नहीं थे, लेकिन उनके करीबी थे.

किसी की सिर्फ मजबूत आर्थिक स्थिति के आधार पर अनुशंसा गया तो किसी को अपना करीबी होने की वजह से. बताया जा रहा है कि यह रिपोर्ट सचिव और प्रभारी सह सचिवों ने नतीजों के बाद अपने प्रभार जिलों में जाकर तैयार की है. बूथ स्तर तक लोगों से बात की गई. वहीं बागियों ने भी प्रभारी सचिवों से शिकायत की की जीत की संभावना के बाद उनके नाम क्यों आगे नहीं भेजे गए. इस रिपोर्ट के आधार पर पूर्व मंत्री और पार्टी के मौजूदा और पूर्व विधायकों को भी तलब किया जाएगा. पीसीसी चीफ दीपक बैज हाल में दिल्ली में आलाकमान से भी सारी स्थिति के बारे में जानकारी भी देकर आए हैं.

पीसीसी चीफ बोले- लगातार की जा रही समीक्षा
वहीं पीसीसी चीफ दीपक बैज साफ कहते हैं कि निकाय चुनाव में टिकट बांटने की जिम्मेदारी सामूहिक थी. ऐसे में किसी भी नतीजे की जिम्मेदारी सामूहिक ही है. उनका कहना है कि लगातार बूथ से लेकर ब्लॉक तक नतीजों की समीक्षा की जा रही है. कांग्रेस के प्रदेश प्रभारी सचिन पायलट भी अब होली के बाद आएंगे और रायपुर में भी बड़ी बैठक लेंगे.

जाहिर तौर पर दिल्ली में भी जो बैठक होगी पार्टी सूत्रों के मुताबिक उसमें विधायकों, पूर्व मंत्रियों और पूर्व विधायकों से पूछा जाएगा कि उन्होंने किस आधार पर दावेदारों के नाम भेजे थे. उनके नाम की अनुशंसा की थी. फिर नतीजे उम्मीदों से परे कैसे आए. यह भी कहा जा रहा है कि इसके आधार पर जवाबदेही भी तय होगी. हालांकि विधानसभा और लोकसभा चुनाव के खराब नतीजों के बाद जवाबदेही तो दूर कांग्रेस की मोईली कमेटी की रिपोर्ट भी अब तक नहीं आई है.

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