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गणेश चतुर्थी 2025: यहां मिलेगी A-Z जानकारी के साथ पूजा-विधि, व्रत नियम और धार्मिक महत्व

हर साल की तरह इस वर्ष भी गणेश चतुर्थी का पर्व भक्तों के लिए अपार श्रद्धा और उल्लास का संदेश लेकर आ रहा है। यह विशेष पर्व भगवान गणेश के जन्मोत्सव के रूप में पूरे भारतवर्ष में भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि को मनाया जाता है, जो इस वर्ष 27 अगस्त 2025 से शुरू हो रहा है। इस दिन सुबह 11 बजकर 05 मिनट से दोपहर 01 बजकर 40 मिनट तक शुभ मुहूर्त रहेगा। इस प्रकार भक्तों को उनकी पूजा के लिए लगभग ढाई घंटे का समय मिलेगा। इस दिन भक्तगण घरों, मंदिरों और पंडालों में विघ्नहर्ता गणेश जी की प्रतिमा की स्थापना कर विधिपूर्वक पूजन करते हैं। गणेश चतुर्थी केवल धार्मिक पर्व ही नहीं, बल्कि एक सांस्कृतिक उत्सव भी है। महाराष्ट्र, कर्नाटक, आंध्र प्रदेश, तमिलनाडु, गोवा और गुजरात में इसकी धूम देखने लायक होती है। विशेष रूप से लोकमान्य बाल गंगाधर तिलक ने इस पर्व को सार्वजनिक रूप देकर इसे राष्ट्र जागरण का माध्यम बनाया था। आइए जानते हैं इस महापर्व की पूजा-विधि, मंत्र-जाप, व्रत नियम और विशेष धार्मिक मान्यताओं के बारे में विस्तार से।

गणेश चतुर्थी का धार्मिक महत्व

गणेश चतुर्थी को विनायक चतुर्थी भी कहा जाता है। शास्त्रों के अनुसार इसी दिन भगवान शिव और माता पार्वती के पुत्र गणेश जी का प्राकट्य हुआ था। भगवान गणेश को प्रथम पूज्य देवता, सिद्धिविनायक, विघ्नहर्ता और बुद्धि के दाता के रूप में पूजा जाता है। कहते हैं कि इस दिन भगवान गणेश की आराधना करने से सभी विघ्न समाप्त हो जाते हैं और कार्यों में सिद्धि प्राप्त होती है।

गणेश चतुर्थी पर पूजन की विस्तृत विधि

1. सुबह की तैयारी और शुद्धिकरण: सूर्योदय से पूर्व उठकर स्नान करें और स्वच्छ वस्त्र धारण करें। पूजा स्थान को साफ करें और गंगाजल से शुद्ध करें। पूजा के लिए एक चौकी को लाल या पीले कपड़े से सजाएं। चौकी पर अक्षत (चावल), फूल और अन्य पूजा सामग्री रखें। 2. गणेश मूर्ति की स्थापना: गणेश जी की मिट्टी या धातु की मूर्ति को गंगाजल से शुद्ध कर चौकी पर स्थापित करें। मूर्ति के साथ रिद्धि-सिद्धि के प्रतीक स्वरूप सुपारी रखें। मूर्ति के सामने कलश की स्थापना करें जिसमें गंगाजल, सुपारी, सिक्का और आम के पत्ते रखें। 3. पंचोपचार पूजन विधि: गणेश जी की पूजा पांच मुख्य उपचारों से की जाती है:
क्रिया    मंत्र विवरण
आवाहन  “ॐ गं गणपतये नमः” भगवान गणेश का आह्वान करें
आसन अर्पण “ॐ श्रीं गं गणपतये नमः” आसन अर्पित करें
स्नान मंत्रोच्चारण के साथ जल और पंचामृत से स्नान कराएं
वस्त्र व भूषण “ॐ श्रीं गं गणपतये नमः” वस्त्र, मौली, आभूषण अर्पित करें
गंध-पुष्प “ॐ गं गणपतये नमः” चंदन, अक्षत, दूर्वा, फूल चढ़ाएं
धूप-दीप ॐ गं गणपतये नमः” धूप और दीप जलाकर प्रदक्षिणा करें
नैवेद्य “ॐ श्रीं गं गणपतये नमः” मोदक या लड्डू का भोग लगाएं
तांबूल-दक्षिणा “ॐ श्रीं गं गणपतये नमः” पान, सुपारी, दक्षिणा अर्पण करें

4. गणेश मंत्र जाप:

पूजा के दौरान निम्न मंत्रों का जाप करें: बीज मंत्र: ॐ गं गणपतये नमः द्वादशाक्षर मंत्र: ॐ नमो भगवते गजाननाय गणेश गायत्री मंत्र: ॐ एकदंताय विद्महे वक्रतुण्डाय धीमहि, तन्नो दन्तिः प्रचोदयात्॥ जप की संख्या – कम से कम 108 बार।

गणेश चतुर्थी पर व्रत विधि:

इस दिन संकल्प लेकर निर्जल या फलाहारी व्रत रखें।
  • दिनभर भजन-कीर्तन, गणेश चालीसा और गणेश कथा का पाठ करें।
  • चंद्र दर्शन से बचें क्योंकि पौराणिक मान्यता अनुसार इस दिन चंद्रमा देखने से झूठा आरोप लग सकता है।
  • यदि भूलवश चंद्र दर्शन हो जाए, तो स्यामंतक मणि की कथा का पाठ करें।
  • चंद्रोदय के बाद व्रत का पारण करें।
गणेश चतुर्थी की पूजन विधि जानिए

गणेश चतुर्थी की पूजन विधि जानिए (सौ. सोशल मीडिया)

पूजा के लिए आवश्यक सामग्री की सूची:

धार्मिक वस्तुएं:
  • गणेश जी की मूर्ति
  • गंगाजल
  • दीपक (घी या तेल)
  • धूपबत्ती, कपूर
  • चंदन, कुमकुम, सिंदूर
  • अक्षत (चावल), फूल, माला
  • पंचामृत (दूध, दही, घी, शहद, शक्कर)
  • यज्ञोपवीत (जनेऊ), मौली
  • नारियल, सुपारी, पान
  • फल, मिठाई (मोदक), नैवेद्य
  • पूजा थाली, कलश, पंचपल्लव
  • रुई, इत्र, तिलक सामग्री
  • लौंग, इलायची, दूर्वा, चांदी का सिक्का
  • शंख और घंटी

गणेश प्रतिमा विसर्जन की परंपरा:

  • गणेश जी की प्रतिमा को 3, 5, 7 या 11 दिन तक घर में पूजन करके रखा जाता है।
  • प्रतिदिन आरती, भोग और गणेश चालीसा का पाठ किया जाता है।
  • अंत में विधिपूर्वक विसर्जन किया जाता है, जिसमें भावपूर्ण विदाई दी जाती है – “गणपति बप्पा मोरया, अगले बरस तू जल्दी आ!”

गणेश पूजन में ध्यान देने योग्य बातें:

पूजा से पहले शुभ मुहूर्त जरूर देखें। मूर्ति स्थापना से पहले स्थान को गंगाजल से शुद्ध करें। दूर्वा और मोदक अवश्य चढ़ाएं – यह गणेश जी को अतिप्रिय हैं। आरती करें और आशीर्वाद मांगें। क्या न करें: गणेश पूजा में तुलसी पत्र चढ़ाना वर्जित है। चंद्र दर्शन से बचें। पूजा करते समय अनुशासन और एकाग्रता बनाए रखें।

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