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क्या केले और नारियल पवित्र फल हैं?… आखिर भगवान को केवल ये दो ही फल क्यों चढ़ाए जाते हैं!

हिंदू परंपरा में, भगवान और मंदिर को भक्ति और सम्मान का प्रतीक माना जाता है. कई लोग अपने इष्ट देवों के दर्शन करने के लिए मंदिर जाते हैं. वे भगवान से मनोकामनाएं और मन्नतें मांगते हैं. मनोकामना पूरी होने के बाद, भगवान के दोबारा दर्शन कर धन्यवाद करते हैं. ऐसी यात्राओं के दौरान, कई लोग मंदिर में नारियल और केले चढ़ाते हैं. आखिर मंदिर में सबसे ज्यादा नारियल और केला ही क्यों अर्पित किया जाता है. अन्य फल बीजों द्वारा प्रजनन करते हैं. यदि जानवरों, पक्षियों या मनुष्यों द्वारा खाए जाने के बाद बीज गिर जाते हैं, तो उस बीज से एक नया पौधा उगता है. इसलिए, फलों में पिछली इच्छा के अंश, अन्य जीवों के अवशेष हो सकते हैं लेकिन नारियल और केले इस तरह प्रजनन नहीं करते. ये अपने आप में पूर्ण ज्ञान से युक्त फल हैं. इसीलिए इन्हें पवित्र माना जाता है.

 

आत्म समर्पण को दर्शाता है नारियल

नारियल को फोड़ने से अहंकार का नाश होता है, इसका कठिन आवरण हमारे अहं को दर्शाता है, जिसे तोड़कर हम आत्म समर्पण करते हैं. यह संस्कारिक दृष्टि से पूजा में स्वयं को समर्पित करने का संकेत है. इसके अंदर का सफेद हृदय हमारे मन का प्रतिबिंब है. नारियल का पानी हमारे भीतर के प्रेम और भक्ति के साथ प्रवाहित होता रहता है.

 

लक्ष्मीजी को प्रसन्न करने के लिए चढ़ाया जाता है नारियल

नारियल को श्रीफल कहा गया है. यह धन, ऐश्वर्य और समृद्धि की देवी लक्ष्मी को प्रसन्न करने के लिए चढ़ाया जाता है. यह फल तीन आंखों वाला होता है, जो त्रिनेत्र शिवजी का भी प्रतीक है. नारियल की तीन आंखें, भूतकाल के लिए, दूसरी वर्तमान के लिए और तीसरी भविष्य को दर्शाती हैं. इन तीन आंख को शरीर का प्रतीक भी माना जाता है – स्थूल, सूक्ष्म और कारण शरीर. अगर नारियल को मिट्टी में गाड़ दिया जाए, तो वह एक पेड़ बन जाता है. यह जीवन चक्र की एक सुंदर शिक्षा है.

 

त्याग को दर्शाता है केला

नारियल के अलावा केला भी बहुत खास फल है. अगर आप केला खाकर उसका छिलका फेंक दें, तो उसमें से कोई नया पौधा नहीं निकलेगा. केले के पेड़ के तने से नई कोंपलें निकलेंगी. केले का पेड़ जीवन में सिर्फ एक बार फल देता है. लेकिन अंत में वह मर जाता है और अपनी जगह उससे उगी नई कोंपलों को दे देता है. यह त्याग और जीवन के सद्गुण का एक बेहतरीन उदाहरण है.

केले का हर भाग पवित्र

ब्रह्मवैवर्त पुराण एवं तंत्र साहित्य में वर्णन मिलता है कि विष्णु जी एवं लक्ष्मी जी को केले के वृक्ष की पूजा और केले के फल का अर्पण विशेष रूप से प्रिय है. लक्ष्मी पूजन में केले के पत्तों और फलों का उपयोग अत्यंत शुभ माना गया है. सत्यनारायण की कथा में केला के फल का भोग और केले के पेड़ की पत्तियों का प्रयोग किया जाता है.

 

इसलिए नारियल और केले का होता है प्रयोग

यह जानकर, हमें यह स्पष्ट हो जाता है कि भगवान को नारियल और केले क्यों चढ़ाए जाते हैं. ये शुद्ध फल माने जाते हैं, पूरी तरह से तैयार और अन्य जीवों के प्रभाव से मुक्त. इसलिए, जब भी कोई भगवान के सान्निध्य में जाता है, तो इन्हें ग्रहण करना न केवल एक परंपरा है, बल्कि एक आध्यात्मिक प्रक्रिया भी है.

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