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डिजनी-हॉटस्टार पर देखें ‘फेसेज ऑफ क्लाइमेट रेजिलिएंस’, अवॉर्ड विनिंग डॉक्यूमेंट्री सीरीज

नई दिल्ली । फेसेस ऑफ क्लाइमेट रेजिलिएंस, 16 खंड़ों वाली एक अवॉर्ड विनिंग डॉक्यूमेंट्री सीरीज, की आज से (शुक्रवार, 5 जुलाई) डिजनी-हॉटस्टार पर स्ट्रीमिंग शुरू हो गई है। इन डॉक्यूमेंट्रीज को थिंक टैंक काउंसिल ऑन एनर्जी, एनवायरनमेंट एंड वाटर (CEEW) ने इंडिया क्लाइमेट कोलैबोरेटिव, एडेलगिव फाउंडेशन और ड्रोकपा फिल्म्स के साथ मिलकर प्रोड्यूस किया है।

ये फिल्में केरल, महाराष्ट्र, ओडिशा, राजस्थान और उत्तराखंड समेत भारत के पांच सर्वाधिक जलवायु-संवेदनशील राज्यों की आवाजों को समेटे हुए है। चौंकाने वाले आंकड़ों और सुर्खियों से आगे बढ़कर, ये डॉक्यूमेंट्रीज रेखांकित करती हैं कि भारत में जमीनी स्तर पर व्यक्ति और समुदाय कैसे जलवायु संकट के साथ अनुकूलन स्थापित कर रहे हैं, और बाढ़, चक्रवात, सूखे व जंगल में आग लगने जैसी आपदाओं का सामना करने के लिए लचीलापन विकसित कर रहे हैं। कोच्चि स्थित फिल्म निर्माता शॉन सेबेस्टियन निर्देशित फेसेस ऑफ क्लाइमेट रेजिलिएंस ने प्रतिष्ठित 2023 सीएमसीसी क्लाइमेट चेंज कम्युनिकेशन अवार्ड ‘रेबेका बैलेस्ट्रा’ के साथ-साथ डॉक्यूमेंट्रीज़ विदाउट बॉर्डर इंटरनेशनल फेस्टिवल (USA) और अरावली इंटरनेशनल फिल्म फेस्टिवल (भारत) में अवॉर्ड जीते हैं और पूरी दुनिया में प्रशंसा बटोरी है।

ट्रेलर- https://www.hotstar.com/in/clips/faces-of-climate-resilience-promo/1271321155/watch

इस डॉक्यूमेंट्री सीरीज में शामिल फिल्म ‘मंदाकिनी की आवाज’ बताती है कि कैसे उत्तराखंड में एक सामुदायिक रेडियो स्टेशन लोगों को आपदा का सामना करने के लिए तैयार कर रहा है। ‘रिबिल्डिंग चेरूथोनी आफ्टर 2018’ डॉक्यूमेंट्री दिखाती है कि कैसे केरल का एक शहर बाढ़ और भारी बारिश से बचाव के लिए अपने इंफ्रास्ट्रक्चर को जलवायु आपदाओं से सुरक्षित बना रहा है। उत्तराखंड के युवा जल वैज्ञानिकों पर आधारित डॉक्यूमेंट्री पहाड़ों पर जलसंकट को दूर करने के प्रयासों को दर्ज करती है। फेसेस ऑफ क्लाइमेट रेजिलिएंश, जलवायु परिवर्तन के खिलाफ लोगों के निजी और सामूहिक प्रयासों की शक्ति को दर्शाती है। यह बात इसलिए महत्वपूर्ण है, क्योंकि सीईईडब्ल्यू के अध्ययन बताते हैं कि देश के 75 प्रतिशत जिले जलवायु से जुड़ी चरम घटनाओं के लिए सुभेद्य (वल्नरेबल) हैं। अब इस डॉक्यूमेंट्री सीरीज की डिजनी-हॉटस्टार स्ट्रीमिंग कर रहा है।

मिलन जॉर्ज जैकब, कम्युनिकेशंस स्पेशलिस्ट,सीईईडब्ल्यू और सीरीज के क्रिएटिव प्रोड्यूसर, ने कहा: “जलवायु संकट हमारे समय की एक जीती-जागती सच्चाई है। सर्वाधिक तापमान वाली गर्मियों में से एक मौसम बीतने के साथ, दिल्ली से लेकर असम और केरल तक, सभी का ध्यान बाढ़ से निपटने पर केंद्रित हो गया है। सीईईडब्ल्यू के विश्लेषण के अनुसार, 10 में से 8 भारतीय उन जिलों में रहते हैं, जो जलवायु प्रेरित चरम मौसमी घटनाओं के लिए वल्नरेबल हैं। लगातार गर्म होती दुनिया में, ऐसी चरम मौसमी घटनाओं की संभावनाएं बढ़ेंगी, इसलिए इन्हें सहने की शक्ति यानी लचीलापन विकसित करना जरूरी है। इसकी प्रेरणा के लिए हमें कहीं दूर देखने की जरूरत नहीं है। ‘फेसेस ऑफ क्लाइमेट रेजिलिएंस’ ने भारत के स्थानीय क्लाइमेट हीरोज की कहानियां और जलवायु परिवर्तन से अनुकूलन लाने में उनकी कुशलता को दिखाया है। ये फिल्में बताती हैं कि सामूहिक प्रयासों को संगठित करना वास्तविक रूप से प्रभाव डाल सकता है।”

शॉन सेबेस्टियन, डायरेक्टर, फेसेज ऑफ क्लाइमेट रेजिलिएंस, ने कहा, “जलवायु परिवर्तन धीरे-धीरे एक सुस्पष्ट चरित्र बनता जा रहा है, यहां तक कि पॉप कल्चर में भी। लेकिन अभी भी बहुत कुछ करना बाकी है। जलवायु संकट से उभर रही मांगों को पूरा करने के लिए, हमें निश्चित तौर पर जीवन जीने योग्य भविष्य की उन कहानियों और उदाहरणों को खोजना होगा, जो लोगों को कदम उठाने के लिए प्रेरित करें। फेसस ऑफ क्लाइमेट रेजिलिएंस, देश भर में जलवायु परिवर्तन के खिलाफ लचीलापन (रेजिलिएंस) विकसित करने वाली कहानियों को जुटाने का एक प्रयास है।”

फेसेस ऑफ क्लाइमेट रेजिलिएंस, साउथ लंदन फिल्म फेस्टिवल (यूके) 2024, सीएमएस वातावरण इंटरनेशनल फिल्म फेस्टिवल (भारत) 2024 में फाइनलिस्ट/नामांकित डॉक्यूमेंट्री रही। इसके अलावा, कालामाटा इंटरनेशनल शॉर्ट डॉक्यूमेंट्री फेस्टिवल (ग्रीस) 2023, गोएथे-इंस्टीट्यूटस् साइंस फिल्म फेस्टिवल (बांग्लादेश, भारत, पाकिस्तान, श्रीलंका) 2023, मीडिया वन एकेडमी फिल्म फेस्टिवल 2023 (भारत) और अंकुर फिल्म फेस्टिवल (भारत) 2022 में ऑफीशियल सेलेक्शन भी रही।

पहली बार इन फिल्मों को 2022 में मिस्र में वैश्विक जलवायु सम्मेलन कॉन्फ्रेंस ऑफ पार्टीज (COP27) से पहले रिलीज किया गया था। अब तक ये फिल्में 40 से अधिक स्क्रीनिंग में शामिल हो चुकी हैं और 15 से अधिक भारतीय व अंतरराष्ट्रीय शहरों में चर्चाएं हो चुकी हैं।

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