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किरीट सोमैया ने फिर मनपा में दी दस्तक, घोटाले में शामिल अधिकारियों पर कसा शिकंजा

नागपुर: बांग्लादेशी फर्जी जन्म प्रमाणपत्र घोटाले को लेकर एक ओर जहां पूरे राज्य में हंगामा मचा हुआ है वहीं शुक्रवार को नागपुर जिले में भी इसी तरह का घोटाला होने का दावा भाजपा नेता किरीट सोमैया ने किया। इस संदर्भ में दूसरी बार मनपा में दस्तक देने बाद अब 15 दिनों के भीतर फर्जी प्रमाणपत्र देने वाले अधिकारियों के खिलाफ एफआईआर होने की जानकारी स्वयं सोमैया ने दी। मनपा मुख्यालय में जन्म प्रमाणपत्र विभाग के अधिकारियों की क्लास लेते हुए उन्होंने अब तक कोई भी ठोस कार्रवाई नहीं होने पर नाराजगी भी जताई।

बैठक में अतिरिक्त आयुक्त पंत, जन्म-मृत्यु प्रमाणपत्र विभाग की जिम्मेदारी संभाल रही उपायुक्त रंजना लाडे और डॉ। अतीक खान आदि उपस्थित थे। बैठक के बाद सोमैया ने कहा कि राज्यभर में जो जन्म प्रमाणपत्र घोटाला हुआ है उसका कुछ अंश नागपुर जिले में भी है।
दस्तावेजों की हो रही जांच

उन्होंने कहा कि महानगरपालिका और जिलाधिकारी कार्यालय के अधिकारी एक साथ बैठकर किस अधिकारी के अधिकारों से जन्म प्रमाणपत्र जारी किए गए हैं, इसकी जांच कर रहे हैं। 15 दिनों के भीतर जिन फर्जी हस्ताक्षरों से प्रशासन को धोखा देकर प्रमाणपत्र जारी किया गया है उनके खिलाफ एफआईआर दर्ज होने की शुरुआत होगी। उन्होंने कहा कि प्राथमिक स्तर पर 200 से अधिक नामों में कुछ गलतियां और धांधलियां होने का मामला दिखाई दे रहा है। 8 दिनों के भीतर ही पूरे मामले के सूत्र उजागर होंगे।
नायब तहसीलदार द्वारा आवंटित सर्टिफिकेट रद्द

उन्होंने कहा कि नायब तहसीलदार द्वारा दिए गए सभी प्रमाणपत्र तुरंत प्रभाव से रद्द कर दिए गए हैं। यहां तक कि मूल प्रमाणपत्र वापस लेने की प्रक्रिया भी अगले सप्ताह से शुरू कर दी जाएगी। हालांकि अब तक यह कार्य शुरू हो जाना चाहिए था। चूंकि प्रमाणपत्र वापस नहीं लिए गए है, अत: प्रमाणपत्र लेने वाले व्यक्तियों द्वारा इसका दुरुपयोग किए जाने से इनकार नहीं किया जा सकता है। इसे लेकर प्रशासन के सामने गंभीरता जताई गई है जिसके बाद प्रशासन ने अगले सप्ताह से प्रक्रिया शुरू करने का आश्वासन दिया है।

पहले चरण की बैठक के बाद सोमैया ने जिलाधिकारी कार्यालय के तहसीलदार और मनपा के अधिकारियों से चर्चा की गई। तहसीलदार की ओर से बताया गया था कि उन्होंने 1,234 प्रमाणपत्र बांटे हैं, जबकि महानगरपालिका के अधिकारियों का कहना था कि उनकी ओर से केवल 639 मामले में ही एनओसी प्रदान की गई है। ऐसे में लगभग 600 आवेदनों के लिए एनओसी कहां से लाई गईं, यह जांच का विषय बन गया है। अधिकारियों ने इसी मामले की जांच करने का आश्वासन दिया है।

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