
छिंदवाड़ा. मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ प्रचार में व्यस्त हैं। लोकसभा चुनाव में कांग्रेस का गढ़ मानी जाने वाली छिंदवाड़ा सीट पर उनके बेटे नकुलनाथ दावेदारी पेश कर रहे हैं। हालांकि, ताजा सियासी तस्वीर से संकेत मिल रहे हैं कि नाथ परिवार के लिए इस बार सीट का सफर पूरी तरह से आसान नहीं रहने वाला है। इसकी एक वजह कई साथियों का कांग्रेस छोड़कर चले जाना है।
छिंदवाड़ा सीट
70 सालों से ज्यादा समय से यह सीट कांग्रेस के पास है। वहीं, बीते 45 सालों से यहां नाथ परिवार का सदस्य जीत रहा है। हालांकि, 1997 में हुए उपचुनाव में राज्य के तत्कालीन मुख्यमंत्री सुंदरलाल पटवा ने कमलनाथ को 37 हजार से ज्यादा मतों से हरा दिया था। इसके बाद अगले ही साल कमलनाथ ने भी पटवा को बड़े अंतर से हराया।
कमलनाथ यहां 1980 से 2019 के बीच 9 बार सांसद रहे। 2018 में मुख्यमंत्री बनने के बाद उन्होंने कमान बेटे को सौंपी और 2019 में मोदी लहर के बावजूद नकुलनाथ एमपी की यह सीट जीतने में कामयाब रहे। खास बात है कि तब छिंदवाड़ा एकमात्र ही ऐसी सीट थी, जिसे भाजपा जीतने में नाकाम रही थी।
क्या मुश्किल में हैं कमलनाथ
साल 2023 में हुए विधानसभा चुनाव के बाद से ही यहां से कांग्रेस नेताओं का दल बदलना जारी है। कमलनाथ का साथ छोड़ने वालों में कई कार्यकर्ता, पंचायत सदस्य, पार्षद, मेयर, पूर्व विधायक और मौजूदा विधायक तक शामिल हैं। इसके अलावा उनके कई करीबियों ने भी कांग्रेस से दूरी बना ली।
नाथ परिवार के लिए बड़े झटकों में से एक अमरवारा से विधायक कमलेश शाह का जाना था। अब खास बात है कि इस क्षेत्र से ही साल 2019 में नकुलनाथ को जरूरी बढ़त मिली थी। टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के मुताबिक, उन्होंने शाह को गद्दार तक करार दे दिया था।