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कोंदा भैरा के गोठ-व्यंग्यकार सुशील भोले…
–आजकाल सामाजिक समूह अउ मंच मन राजनीतिक चापलूसी अउ लड़ई-झगरा के मंच जादा बनत जनाथें जी भैरा.
-तोर कहना महूं ल वाजिब जनाथे जी कोंदा. जतका सामाजिक मंच अउ समूह दिखथे, सबोच म राजनीतिक दल के पदाधिकारी मन फूल-माला पहिरे मुस्कि ढारत बइठे रहिथें. अउ वो मंच मन म गोठ-बात घलो सामाजिक लोगन के सुख-दुख ले जुड़े विषय ले जादा राजनीतिक लाभ-हानि ले जुड़े जादा होथे.
-हव जी.. अउ एक झन ह दूसर पार्टी के नेता ल बखानत-सरापत रहिथे, त दूसर ह वोकर पार्टी के ल.
-फेर एक बात तो हे संगी.. ए कुछ जातिगत गतिविधि मनला संचालित करने वाले मनला या उंकर कारज ल सामाजिक कारज नइ कहे जा सकय. सामाजिक कारज तो वो होथे जेन समग्र मानव कल्याण खातिर करे जाथे.