ओबीसी आरक्षण में कटौती सरकार का षड़यंत्र, 15 जनवरी को थाने में देंगे

बिलासपुर। स्थानीय निकाय चुनाव में आरक्षण प्रविधानों में किए गए दुर्भावनापूर्वक संशोधन के चलते अधिकांश जिला और जनपद पंचायतों में ओबीसी आरक्षण खत्म हो गया है। कांग्रेस इसका सड़क लेकर सदन तक विरोधी करेगी। इसी कड़ी में 15 जनवरी को पिछड़ा वर्ग के समर्थन में सिविल लाइन थाने में गिरफ्तारी भी देने का फैसला लिया गया है। यह बातें जिला कांग्रेस कमेटी ग्रामीण अध्यक्ष विजय केशरवानी ने कही। रविवार को कांग्रेस भवन में पत्रकारों से चर्चा की।
इस अवसर शहर अध्यक्ष विजय पांडेय भी उपस्थित रहे। उनका कहना था कि प्रदेश की 16 जिला पंचायत और 85 जनपद की 25 प्रतिशत सीटें पहले अन्य पिछड़ा वर्ग के उम्मीदवारों के लिए आरक्षित हुआ करती थी। अब अनुसूचित क्षेत्रों में ओबीसी आरक्षण लगभग खत्म हो गया है। मैदानी क्षेत्रों में कईं पंचायतें ऐसी हैं, जहां लगभग 90 से 99 प्रतिशत आबादी ओबीसी की है। लेकिन, वहां ओबीसी के लिए सरपंच का पद आरक्षित नहीं है। पंचों का आरक्षण भी जनसंख्या के अनुपात में कम है। पूर्व में ओबीसी के लिए आरक्षित यह सीटें अब सामान्य घोषित हो चुकी हैं। साय सरकार के द्वारा आरक्षण प्रक्रिया के नियमों में किए गए दुर्भावनापूर्वक संशोधन के बाद अनुसूचित जिले और ब्लाकों में जिला पंचायत सदस्य, जनपद सदस्य और पंचों का जो भी पद अन्य पिछड़ा वर्ग के लिए आरक्षित था, वह अब सामान्य सीटें घोषित हो गई हैं।
भारतीय जनता पार्टी की सरकार के बदनीयति से चलते अन्य पिछड़ा वर्ग के उम्मीदवार चुनाव लड़ने से वंचित हो गए हैं। स्थानीय निकाय चुनाव में आरक्षण के संदर्भ में साय सरकार ने जो दुर्भावना पूर्वक संशोधन किया है, वह ओबीसी वर्ग के साथ अन्याय है।
भारतीय जनता पार्टी का मूल चरित्र ही आरक्षण विरोधी है, जब ये विपक्ष में थी तब विधानसभा में सर्वसम्मति से पारित छत्तीसगढ़ नवीन आरक्षण विधेयक को रोका। इसमें अनुसूचित जनजाति को 32 प्रतिशत और अन्य पिछड़ा वर्ग को 14 से बढ़कर 27 प्रतिशत आरक्षण देने का प्रावधान था। दो दिसंबर को पारित यह विधेयक भाजपा के षडयंत्रों के चलते ही आज तक राजभवन में लंबित है। बिलासपुर जिले में सदस्यों के 17 में से केवल एक क्षेत्र क्रमांक 1 में ओबीसी महिला के लिए आरक्षित है, ओबीसी पुरुष के लिए 17 में से एक भी सीट आरक्षित नहीं है। इसी तरह बिलासपुर जिले की चार जनपद पंचायत में दो जनपद पंचायत अध्यक्ष के पद अनुसूचित जाति महिला, एक अनारक्षित महिला और एक जनपद अध्यक्ष का पद अनारक्षित मुक्त रखा गया है।
बस्तर और सरगुजा संभाग में आरक्षित वर्ग को बड़ा नुकसान है। इस सरकार के द्वारा स्थानीय निकाय चुनाव में आरक्षण के प्रविधानों में जो षडयंत्र पूर्वक ओबीसी विरोधी परिवर्तन किया है, उसके परिणाम सामने हैं। सरगुजा संभाग के पांच जिले अंबिकापुर, बलरामपुर, सूरजपुर, कोरिया, मनेंद्रगढ, चिरमिरी, भरतपुर सोनहत व बस्तर के सात जिले बस्तर, कांकेर, कोंडागांव, दंतेवाडा, नारायणपुर, सुकमा, बीजापुर सहित मानपुर मोहला, जशपुर, गौरेला- पेंड्रा -मरवाही, और कोरबा जिले में अन्य पिछड़ा वर्ग के लिए कुछ बचा ही नहीं है।
आंकड़ों में समझें ओबीसी की स्थिति
पंचायत | कुल सदस्य | ओबीसी सदस्य | ओबीसी प्रतिशत |
जिपं बिलासपुर | 17 | 1 | 5.8 |
जनपद बिल्हा | 25 | 2 | 8 |
जनपद मस्तूरी | 25 | 2 | 8 |
जनपद तखतपुर | 25 | 3 | 12 |
जनपद कोटा | 25 | 0 | 0 |
सरपंच पद के लिए ओबीसी की स्थिति
बिलासपुर जिला | 486 | 35 | 7.20 |
बिल्हा ब्लॉक | 127 | 9 | 7.08 |
तखतपुर ब्लॉक | 124 | 17 | 13.7 |
कोटा ब्लॉक | 104 | 0 | 0 |
मस्तूरी ब्लॉक | 131 | 9 | 6.87 |
पंच पद के लिए ओबीसी की स्थिति
बिलासपुर जिला | 7233 | 799 | 11.04 |