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एनआईटी रायपुर में तीसरे रिसर्च कॉन्क्लेव का उद्घाटन

राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान (एनआईटी) रायपुर के डीन (रिसर्च एंड कंसल्टेंसी) कार्यालय द्वारा 25 जून 2024 को तीन दिवसीय तीसरे रिसर्च स्कॉलर कॉन्क्लेव 2024 का उद्घाटन किया गया । 25 जून 2024 से 27 जून 2024 तक चलने वाला यह कार्यक्रम एक बहु-विषयक शोध सम्मेलन है, जो केवल संस्थान के पीएचडी स्कॉलर्स के लिए आयोजित किया गया है। इस कार्यक्रम में एनआईटी रायपुर के निदेशक डॉ. एन. वी. रमना राव की विशिष्ट उपस्थिति रही, जिन्होंने कार्यक्रम के संरक्षक और मुख्य अतिथि की भूमिका निभाई। डीन (एकेडमिक्स) डॉ. श्रीश वर्मा कार्यक्रम के सम्माननीय अतिथि और डीन (रिसर्च एंड कंसल्टेंसी) डॉ. प्रभात दीवान कार्यक्रम के अध्यक्ष रहे। डॉ. अनामिका यादव, डॉ. जे. आनंदकुमार, डॉ. मानवेंद्र के. त्रिपाठी, डॉ. अवनीश कुमार और डॉ. तीरथ प्रसाद साहू इस कार्यक्रम के आयोजन सचिव हैं। यह कॉन्क्लेव संस्थान के स्कॉलर्स को अपने शोध प्रस्तुत करने हेतु एक उत्कृष्ट मंच के रूप में साबित होगा। इस कार्यक्रम में रजिस्ट्रार डॉ. पी. वाई. ढेकने, डीन (संकाय कल्याण) डॉ. डी. सान्याल, प्रमुख, सीडीसी, डॉ. समीर बाजपेयी, विभागाध्यक्ष, संकाय सदस्य और स्कोलर्स उपस्थित रहे।

उद्घाटन समारोह की शुरुआत डॉ. अनामिका यादव के उद्घाटन भाषण से हुई, जिन्होंने इस आयोजन का सार बताया एवं इसके महत्व और आयोजन के पीछे लगे परस्पर प्रयासों पर प्रकाश डाला। उनके बाद डॉ. प्रभात दीवान ने सम्मेलन के महत्व पर विस्तार से चर्चा की एवं अकादमिक और शोध उत्कृष्टता को बढ़ावा देने में इसकी भूमिका पर जोर दिया। उन्होंने बताया कि इस बार 246 एबस्ट्रेक्ट प्रस्तुत किए गए हैं, जिनमें से प्रत्येक सम्मेलन के लिए निर्धारित उच्च मानकों को पूरा करता है।डॉ. एन. वी. रमना राव ने सम्मेलन के लिए सभी को बधाई दी और इसके उद्देश्यों को पूरा करने की बात कही, जबकि डॉ. श्रीश वर्मा ने शोध के महत्व पर जोर दिया और शोध कार्य के नियमों से सम्बंधित जानकारी दी। इसके बाद सभी सम्माननीय अतिथियों द्वारा एबस्ट्रेक्ट बुक का विमोचन भी किया गया | इस कार्यक्रम में समारोह का समापन डॉ. जे. आनंदकुमार द्वारा धन्यवाद ज्ञापन के साथ हुआ।

उद्घाटन के बाद “शोध प्रकाशन और नैतिकता” पर मुख्य व्याख्यान सत्र डॉ. एन. वी. रमना राव द्वारा दिया गया। अपने व्याख्यान में डॉ. राव ने स्कोपस-इंडेक्स्ड जर्नल में लेखन और प्रकाशन की बारीकियों पर विस्तार से चर्चा की एवं इसमें शामिल कठोर प्रक्रिया का विस्तृत विवरण दिया। इसके अलावा उन्होंने शोध के नियमों और इस दौरान होने वाली गलतियों पर चर्चा की और साथ ही इन गलतियों से बचने के तरीके पर सलाह दी। उन्होंने कहा कि प्लेगेरिज्म अर्थात दुसरो का कंटेंट कॉपी न करना और गलत डाटा नहीं लेना चाहिए साथ ही डाटा को तोड़ मरोड़ कर प्रयोग में नहीं लाना चाहिए | डॉ. राव ने शोध और प्रकाशन में नैतिक मानकों का पालन करने के महत्व को भी समझाया। उन्होंने स्कोपस-इंडेक्स्ड जर्नल की अवधारणा पर प्रकाश डाला, शोध की गुणवत्ता और विश्वसनीयता सुनिश्चित करने में उनकी भूमिका पर जोर दिया।

इसके बाद केमिकल इंजीनियरिंग विभाग के एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. धर्मपाल ने “शोध और अकादमिक लेखन कौशल के लिए जिम्मेदार आचरण” पर एक सत्र दिया। उन्होंने शोध में नैतिकता के महत्व पर चर्चा की और डेटा फैब्रिकेशन, प्लैग्रिज्म और अनुचित लेखन जैसे मुद्दों पर प्रकाश डाला। डॉ. पाल ने अकादमिक लेखन कौशल को भी संबोधित किया, जिसमें पैराफ्रेसिंग, सारांश लेखन और क्वोटिंग जैसी तकनीकों पर जोर दिया गया।

यह कार्यक्रम 27 जून 2024 को समाप्त होगा, जो अकादमिक और शोध के क्षेत्र में एक मील का पत्थर साबित होगा।

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