
महाराष्ट्र में विधानसभा का मॉनसून सेशन शुरू हो गया है और इस बीच डिप्टी सीएम एकनाथ शिंदे उसे छोड़ दिल्ली पहुंचे हुए हैं। वह बुधवार को दिल्ली आए और होम मिनिस्टर अमित शाह से मुलाकात की। इसके अलावा उनकी केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी से भी मुलाकात की खबरें हैं। चर्चा यह है कि आखिर एकनाथ शिंदे इस अहम मौके पर दिल्ली जाकर बड़े नेताओं से क्यों मिले हैं। कांग्रेस ने इसे महायुति में टकराव से जोड़ दिया है और उसका कहना है कि कैबिनेट में गैंगवार चल रहा है। इससे बचने के लिए ही वह दिल्ली दरबार में गुहार लगाने पहुंचे हैं।
कांग्रेस विधायक नाना पटोले ने कहा कि एकनाथ शिंदे राज्य कैबिनेट में चल रही गैंगवार से बचने के लिए दिल्ली गए हैं। राजनीतिक विश्लेषक भी इस यात्रा को अहम मान रहे हैं क्योंकि उद्धव सेना और राज ठाकरे की मनसे के बीच एकता स्थापित हो रही है और दोनों ने मराठी भाषा के स्वाभिमान के नाम पर साझा रैली की है। ऐसी स्थिति में मराठा के नाम पर राजनीति करने वाली एकनाथ शिंदे की शिवसेना को मुश्किल हो सकती है। माना जा रहा है कि इसी पर मंत्रणा के लिए एकनाथ शिंदे दिल्ली आए थे।
दरअसल महाराष्ट्र में चर्चाएं तेज हैं कि राज्य में होने वाले आगामी स्थानीय निकाय चुनावों में ठाकरे बंधु एक साथ आ सकते हैं । इससे चुनावी मोड में आ चुकी और लगातार राजनीतिक रणनीति बना रही भाजपा भी सतर्क है। खबर है कि भाजपा ने एक आंतरिक सर्वेक्षण भी कराया है कि अगर राज ठाकरे और उद्धव ठाकरे एक साथ आते हैं तो महाराष्ट्र में एनडीए को कितना नुकसान हो सकता है। समझा जाता है कि अमित शाह और शिंदे के बीच इसी मसले पर बात हुई है। इसके अलावा एकनाथ शिंदे ने सरकार को लेकर भी अपनी कुछ चिंताएं रखी हैं। हालांकि आधिकारिक तौर पर किसी की तरफ से भी कुछ कहा नहीं गया है।
एक अहम बिंदु यह भी है कि यदि ठाकरे बंधुओं को चैलेंज दिया गया तो मराठी वोटर्स का रिएक्शन क्या होगा। एकनाथ शिंदे की पार्टी भी इसे लेकर चिंतित है। यही वजह है कि मनसे की ओर से आयोजित विरोध प्रदर्शन के दौरान एकनाथ शिंदे सेना के नेता प्रताप सरनाइक पहुंचे थे। यही नहीं उन्होंने मनसे के लोगों की गिरफ्तारी पर भी ऐतराज जताया था।