विविध समाचार

एक ऐसा मंदिर जहां कागज़ों पर लिखकर अपनी फरियाद भेजते हैं भक्त! मुराद पूरी होने पर चढ़ाते हैं घंटियां

गोलू देवता का मंदिर उत्तराखंड में स्थित है. गोलू देवता को न्याय के देवता माना जाता है जो लोगों को सच्चा न्याय दिलाते हैं. इस मंदिर को घंटियों वाला मंदिर भी कहा जाता है क्योंकि यहां लाखों की संख्या में घंटियां टंगी हुई हैं. ऐसा माना जाता है कि उनकी अदालत में बिना किसी वकील और जज के हर किसी को न्याय मिलता है. आज भी कई गांवों में गोलू दरबार की परंपरा जारी है जहां भक्तों का मानना है कि गोलू देवता खुद प्रकट होकर उनकी समस्याओं का समाधान करते हैं. .

गोलू देवता का अनोखा दरबार
जो लोग यहां स्वयं नहीं आ सकते वे अपनी चिट्ठियों के माध्यम से अपनी फरियाद भेजते हैं. ये चिट्ठियां मंदिर में रखी जाती हैं और जब किसी की मनोकामना पूरी होती है तो वह श्रद्धालु यहां घंटी चढ़ाकर धन्यवाद अर्पित करता है. यही कारण है कि मंदिर में हर जगह घंटियां ही घंटियां देखने को मिलती हैं.

कैसे पूरी होती है मनोकामना?
यहां लोग कागज़ों पर अपनी अर्जी लिखकर गोलू देवता के सामने रखते हैं और जब उनकी मनोकामना पूरी होती है, तो वे घंटी चढ़ाकर अपनी श्रद्धा प्रकट करते हैं. यह भारत का एकमात्र मंदिर है, जहां इस तरह से न्याय की परंपरा चली आ रही है. गोलू देवता को भगवान शिव का अवतार माना जाता है.

क्या लोग सच में न्याय पाते हैं?
मान्यता है कि जो भी अपनी समस्या लेकर यहां आता है, वह गोलू देवता के दरबार से निराश नहीं लौटता. कई लोग यहां अपनी प्रॉपर्टी विवाद, कानूनी मामले और व्यक्तिगत समस्याओं को लेकर आते हैं और अपनी अर्जियां लिखकर मंदिर में जमा करते हैं. ऐसा माना जाता है कि गोलू देवता हर सच्ची प्रार्थना सुनते हैं और न्याय दिलाते हैं.

मंदिर का वातावरण और दर्शन
मंदिर परिसर में घुसते ही चारों ओर घंटियों की गूंज सुनाई देती है, जो भक्तों की पूरी हुई मनोकामनाओं का प्रतीक है. मंदिर के गर्भगृह में गोलू देवता की मूर्ति विराजमान है, जहां श्रद्धालु अपनी प्रार्थना अर्पित करते हैं.

गोलू देवता की उत्पत्ति
गोलू देवता को न्याय का देवता माना जाता है. ऐतिहासिक रूप से वे राजा झल राय और उनकी पत्नी कालिंका के पुत्र थे. उनका जन्मस्थान चंपावत को माना जाता है.

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button