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कोन्दा भैरा के गोठ – व्यंग्यकार सुशील भोले…

लोकतंत्र के ए चुनावी तरीका ह नेता मन के संगे-संग मतदाता मनला घलो होशियार बना दिए हे जी भैरा.
-हव जी कोंदा.. अब तो लोगन बिना कुछू दान-दक्षिणा के वोट डारे बर घर ले घलो नइ निकलंय.
-जेन किसान मनला हमन सबले सिधवा अउ सरू मनखे काहन.. तेहू मन अब चतुर सुजान बरोबर होगे हें. अभी बस्तर ले खबर आए हे- ए चुनावी बछर म फेर किसान मन के कर्जा माफी होही कहिके उहाँ के किसान मन जानबूझ के बैंक के कर्जा ल नइ पटाय हें.
-वाह भई.. बस्तर जइसन जगा ले अइसन खबर!
-फेर शासन तंत्र म बइठे लोगन घलो तो हुसियार हें ना.. जे किसान मन कर्जा नइ पटाय हें, वोकर मन के धान ल समर्थन मूल्य म नइ बिसाय जाय कहिके अटघा मढ़ा दिए हें. उनला डिफाल्ट घोषित कर दिए हें.

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