इस मंदिर के दर्शन बिना अधूरी रह जाएगी बद्रीनाथ धाम की यात्रा, 500 साल पुराना है इतिहास
देवभूमि उत्तराखंड में स्थित योगनगरी ऋषिकेश एक पावन तीर्थ स्थल है. हर साल देश विदेश से लाखों की संख्या में लोग यहां घूमने व मंदिरों के दर्शन करने आते हैं. यहां स्थापित मंदिर व घाट मुख्य आकर्षण का केंद्र है. यहां कई सारे प्राचीन मंदिर स्थापित हैं, जिनमें से एक सत्यनारायण भगवान का मंदिर भी है.
मंदिर के महंत कृष्ण मुरारी दास बताते हैं कि इस मंदिर की गिनती ऋषिकेश के प्राचीन मंदिरों में की जाती है. यह लक्ष्मण झूला के पास ही में स्थित 500 साल पुराना मंदिर है. प्राचीन होने के साथ ही यह मंदिर भगवान सत्यनारायण का ऋषिकेश में एकमात्र मंदिर भी है, जिसकी स्थापना महंत माधव दास जी महाराज ने की थी और अभी वर्तमान में इस मंदिर का संचालन मनीराम छावनी अयोध्या श्री श्री 108 श्री महंत नित गोपाल जी महाराज द्वारा किया जा रहा है.
सत्यनारायण कथा का होता है आयोजन
महंत कृष्ण मुरारी बताते हैं कि चूंकि यह मंदिर भगवान सत्यनारायण को समर्पित है, इसलिए पूर्णमासी के अवसर पर यहां सत्यनारायण की कथा का आयोजन कराया जाता है. साथ ही साधु सेवा इस मंदिर की परंपरा है. मणि राम दास जी द्वारा शुरु की गई परंपरा का इस मंदिर में अभी भी विधिवत पालन होता है. अभी भी इस मंदिर में सभी साधु संतों की विशेष सेवा की जाती है.
मंदिर के दर्शन किए बिना अधूरी है बद्रीनाथ धाम की यात्रा
वह आगे बताते हैं कि सालों पहले जब मोटर मार्ग की सुविधा उपलब्ध नहीं थी. चारधाम यात्रा कर रहे यात्री यहां विश्राम किया करते थे. यही नहीं, इस मंदिर के दर्शन किए बिना बद्रीनाथ धाम की यात्रा अधूरी मानी जाती थी. बद्रीनाथ धाम जा रहे यात्री पहले इस मंदिर के दर्शन करते, उसके बाद ही बद्रीनाथ धाम के दर्शन करते थे. अगर आप ऋषिकेश घूमने आए हुए हैं या फिर आने की सोच रहे हैं, तो इस मंदिर के दर्शन जरूर करें. आपकी जानकारी के लिए बता दें कि इस मंदिर के कपाट प्रातः गंगा आरती के बाद भक्तजनों के लिए खुल जाते हैं और संध्याकाल आरती के बाद करीब 8 बजे मंदिर के कपाट बंद हो जाते हैं.