सावन में इस विधि से करें शिव पूजन, महादेव की कृपा से होगी हर मनोकामनाएं पूरी

आज 11 जुलाई से श्रावण माह की शुरूआत हो रही हैं। यह भगवान शिव का प्रिय माह है, जिसमें प्रभु की पूजा-अर्चना करने से वह बहुत जल्द प्रसन्न होते हैं। यही कारण है कि सावन को न केवल माह बल्कि महादेव की विशेष कृपा पाने का अवसर कहा जाता है।
शिव पूजा एक ऐसी साधना है जो न सिर्फ मन की शांति देती है, बल्कि जीवन की परेशानियों को भी दूर कर सकती है। चाहे सोमवार का व्रत हो या सावन का महीना, शिव पूजन का सही तरीका जानकर आप अपने घर में सुख-शांति और सकारात्मकता ला सकते हैं। आइए जानते हैं इस बारे में ज्योतिषी एवं वास्तु सलाहकार पंडित हितेंद्र कुमार शर्मा से
क्या है शिव पूजन का सही तरीका :
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करें पूजा की तैयारी
पंडित हितेंद्र कुमार शर्मा के अनुसार, सुबह जल्दी उठकर स्नान करें और साफ-सुथरे कपड़े पहनें। पूजा करने की जगह को भी अच्छे से साफ कर लें। उस जगह गंगाजल छिड़कें ताकि माहौल पवित्र हो जाए. अब भगवान शिव की मूर्ति या शिवलिंग को पूजा स्थान पर स्थापित करें। एक दीया जलाएं और अगरबत्ती लगाएं।
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संकल्प लें
अब हाथ में कुछ फूल, चावल और जल लेकर भगवान शिव से मन में एक संकल्प करें। यह संकल्प ऐसा होना चाहिए जिसमें आप बताएं कि आप ये पूजा क्यों कर रहे हैं – जैसे कोई मनोकामना, व्रत या परिवार की सुख-शांति के लिए।
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शिवलिंग का अभिषेक करें
अब शिवलिंग पर एक-एक कर के जल, दूध, दही, घी, शहद और शक्कर चढ़ाएं। हर सामग्री चढ़ाते समय “ॐ नमः शिवाय” मंत्र बोलते रहें। अंत में शुद्ध जल से शिवलिंग को धो दें।
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श्रृंगार और पूजन
इसके बाद शिवलिंग पर चंदन लगाएं, अक्षत (चावल), बेलपत्र, धतूरा, भांग और फूल अर्पित करें। यह सब चीजें भगवान शिव को बहुत प्रिय मानी जाती हैं। इसके साथ-साथ कुछ फल, मिठाई या जो भी आपके घर में उपलब्ध हो, भगवान को भोग के रूप में चढ़ाएं।
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आरती करें
अब भगवान शिव की आरती करें। यदि आप शिव चालीसा जानते हैं, तो उसका पाठ भी कर सकते हैं। यह चरण पूजा का सबसे भावनात्मक हिस्सा होता है क्योंकि इसमें हम पूरी श्रद्धा से भगवान की स्तुति करते हैं और अपने मन की बातें उन्हें कहते हैं।
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भूल-चूक के लिए क्षमा
पूजा के अंत में भगवान शिव से दिल से क्षमा मांगें कि अगर कुछ गलती या चूक हुई हो तो उसे क्षमा कर दें। यह भाव विनम्रता और श्रद्धा का प्रतीक होता है।
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व्रत का पारण करें
अगर आपने व्रत रखा है, तो पूजा के बाद फलाहार या हल्का सात्विक भोजन करके व्रत को पूरा करें। कोशिश करें कि पूजा के दिन एकाग्र रहें और किसी से विवाद न करें।