सेहत को नुकसान पहुंचाने वाले प्रोडक्ट से आता है एफएमसीजी कंपनियों के रेवेन्यू का 76% हिस्सा

भारत की टॉप फास्ट-मूविंग कंज्यूमर गुड्स (एफएमसीजी) कंपनियां अपने पैकेज्ड फूड राजस्व का तीन-चौथाई हिस्सा उन उत्पादों से कमाती हैं, जो स्वास्थ्य के मामले में खराब रैंक पर हैं। एक वैश्विक नॉन-प्रॉफिटेबल संस्थ एक्सेस टू न्यूट्रिशन इनिशिएटिव ने भारत की 20 सबसे बड़ी एफएमसीजी कंपनियों के 1,901 उत्पादों के डेटा का विश्लेषण किया है। इस गंभीर विश्लेषण से पता चला है कि ये कंपनियां अपने राजस्व का 76% हिस्सा सेहत को नुकसान पहुंचाने वाले प्रोडक्ट से प्राप्त करती हैं।
देश में प्रोसेस्ड पैकेज्ड फूड की कुल सेल में इन कंपनियों की हिस्सेदारी 36% है। एटीएनआई की रिपोर्ट के अनुसार 2011 से 2021 तक प्रसंस्कृत खाद्य पदार्थों की कुल सेल वैल्यू 15.32% की सीएजीआर से बढ़ गया है, जबकि इसी अवधि में सभी खाद्य और पेय पदार्थ फूड एंड बेबरीज उत्पादों पर उपभोक्ता खर्च केवल 9.6% था।
एटीएनआई ने बुधवार को जारी एक रिपोर्ट में कहा कि हेल्थ स्कोर के आधार पर आईटीसी भारतीय कंपनियों में सर्वश्रेष्ठ रही, इसके बाद हिंदुस्तान यूनिलीवर, नेस्ले इंडिया, पेप्सिको इंडिया और कोका-कोला इंडिया का स्थान रहा, लेकिन वास्तव में इसमें घबराने वाली कोई बात नहीं है।
“कंपनियों के उत्पादों की औसत स्वस्थता 5.0 में से 1.9 स्टार (2020 के समान) पाई गई। बाजार में आधे से अधिक या 55.6% उत्पादों को 5 में से 1.5 स्टार या उससे कम अंक मिले। एटीएनआई ने कहा कुल मिलाकर, 12% उत्पाद विश्व स्वास्थ्य संगठन दक्षिण-पूर्व क्षेत्र (डब्ल्यूएचओ एसईएआर) मानदंडों के अनुसार बच्चों के योग्य थे।
रिपोर्ट में कहा गया है कि हिंदुस्तान यूनिलीवर, आईटीसी और पेप्सिको इंडिया ने अपने उत्पाद पोर्टफोलियो के कम से कम हिस्से के लिए चिंता के सभी तीन पोषक तत्वों (नमक, चीनी और संतृप्त वसा) को कम करने का लक्ष्य निर्धारित किया है। हिंदुस्तान यूनिलीवर और आईटीसी- को अपने प्रासंगिक उत्पाद श्रेणियों में फलों और सब्जियों और साबुत अनाज जैसे हेल्दी तत्वों के स्तर को बढ़ाने का लक्ष्य मिला।
हिंदुस्तान यूनिलीवर अपने प्रोडक्ट में सामग्री के रूप में फोर्टिफाइड स्टेपल का उपयोग कर रहा है। जबकि, कंपनियां अपने खाद्य और पेय पदार्थों को अतिरिक्त विटामिन और खनिजों को बढ़ा रही हैं।