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विज्ञान का चमत्कार, अब दुनिया में बच्‍चे अपंग पैदा नहीं होंगे

लंदन । साइंस की दुनिया में फ‍िर चमत्‍कार हुआ है। अक्‍सर सुनाने में आता हैं क‍ि कई बच्‍चे जब पैदा होते हैं, तब उनके अंग पूरे व‍िकस‍ित नहीं होते। क‍िसी बच्चे की आंखें नहीं खुलतीं, तब किसी का सिर आधा अधूरा बना रहता है। क‍िसी के फेफड़े और क‍िडनी पूरी तरह काम नहीं करते हैं। अब ऐसी जेनेटिक बीमार‍ियों का इलाज की उम्मीद जगा गई है। वैज्ञान‍िकों ने पहली बार गर्भ में पल रहे शिशु के अंग लैब में तैयार करने की बात कही है। उनका दावा है कि उन्‍हें कुछ ऐसा फार्मूला मिला है, ज‍िससे प्रेग्‍नेंसी के अंत‍िम दिनों में वे शिशुओं के अंगों और कोशिकाओं को विकसित कर सकते हैं। अजन्‍मे श‍िशुओं की स्‍टेम कोश‍िकाओं से मिन‍ी अंग विकसित किए जा सकते है। अगर ये कामयाब रहा, तब दुनिया में बच्‍चे अपंग पैदा नहीं होंगे। क्‍योंकि गर्भ में ही उनके अंगों को विकसित किया जा सकेगा।
दुनिया में हर साल लाखों बच्‍चे गर्भ में विकस‍ित हुई बीमारी के साथ पैदा होते हैं। सबसे ज्‍यादा डायाफ्राम हर्निया के चांस होते है, जिसमें पेट के सारे अंग अपनी जगह से खिसककर छाती में चले जाते हैं। दूसरी दिक्‍कत सिस्टिक फाइब्रोसिस की होती है, इसमें कुछ ग्रंथियों में से असामान्य रूप से गाढ़े पदार्थ का रिसाव होने लगता है, जो फेफड़ों और पाचन तंत्र सहित कई अंगों को नुकसान पहुंचाता है। इस तरह की जेनेटिक बीमारी सिस्टिक किडनी डिसीज है। इसमें फ्लूड से भरी थैली यानी सिस्‍ट बन जाते हैं, जो क‍िडनी के ल‍िए गंभीर समस्‍याएं पैदा करते हैं। वैज्ञानिकों का दावा है क‍ि इसतरह के बीमार‍ियों को नए फार्मूले के द्वारा ठीक किया जा सकेगा।
आमतौर पर प्रेग्‍नेंसी के 22वें हफ्ते में भ्रूण के साथ छेड़छाड़ करना गैरकानूनी होता है। इससे बच्‍चे को दिक्‍कत हो सकती है। इसील‍िए जब तक बच्‍चे को कोई गंभीर बीमारी न हो, इन हफ्तों में डॉक्‍टर सर्जरी का खतरा मोल नहीं लेते। लेकिन विशेषज्ञों दावा है कि अब वे एमनियोटिक थैली में तैरती कोशिकाओं से छोटे अंग विकसित कर सकते हैं, वहां भी बच्‍चे को छुए बिना। एमनियोटिक द्रव भ्रूण द्वारा निर्मित होता है और गर्भ में बच्चे को घेरे रहता है। यह द्रव बच्‍चे के शरीर से बहता रहता है और कोश‍िकाओं तक डीएनए लेकर जाता है।
यूनिवर्सिटी कॉलेज लंदन की डॉ. मटिया गेरली ने कहा, नई रिसर्च हमें बच्‍चे को ब‍िना छुए, उसके अंगों को ठीक करने की राह में आगे बढ़ रहे है। यह हमें आनुवंशिक बीमारियों के बारे में और अधिक सिखा सकती है। हम बेहतर तरीके से जान सकते हैं क‍ि बच्‍चों में होने वाली जेनेटिक बीमार‍ियों से कैसे निपटा जाए। हम इस रहस्‍य का भी खुलासा करने में सक्षम हो सकते हैं क‍ि गर्भावस्था के बाद बच्‍चों का विकास क‍िस तरह होता है। आमतौर पर हम लेट प्रेग्‍नेंसी के बारे में बहुत कम जानते हैं। अब हमने एम्नियोटिक द्रव कोशिकाओं से जो ऑर्गेनॉइड बनाए हैं, वे उन ऊतकों के कई कार्यों को दर्शाते हैं जिनका वे प्रतिनिधित्व करते हैं।
शोधकर्ताओं ने 12 प्रेग्‍नेंट मह‍िलाओं के गर्भ से उनकी गर्भावस्था के 34 सप्ताह तक के फेफड़े, गुर्दे और छोटी आंत की कोशिकाओं को एकत्र किया। फ‍िर लैब में उन पर रिसर्च की और एम्नियोटिक द्रव कोशिकाओं से छोटे-छोटे अंग विकस‍ित किए। अब इनका अध्‍ययन किया जाएगा। डॉ. गेरली ने बताया कि जब हमने जन्मजात डायाफ्रामिक हर्निया वाले बच्‍चों पर इसका अध्‍ययन किया, तब देखा क‍ि यह काम कर रहा है। उनके अंग फ‍िर से पुरानी जगहों पर आ गए। सर्जन प्रोफेसर पाओलो डी कोप्पी ने कहा, यह पहली बार है जब हम जन्‍म से पहले क‍िसी बच्‍चे की जन्‍मजात‍ स्‍थ‍ित‍ि के बारे में अच्‍छे से जान पा रहे हैं। चिक‍ित्‍सा विज्ञान में यह क्रांत‍िकारी कदम होगा। हालांकि, यह अभी ये दावा नहीं कर रहे क‍ि हम इस कर ही सकते हैं, लेकिन नतीजे निश्च‍ित रूप से उत्‍साह बढ़ाने वाले हैं।

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