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सुप्रीम कोर्ट ने पतंजलि आयुर्वेद के खिलाफ कड़ा रुख अपनाया

नई दिल्ली:   कोर्ट में सुनवाई के दौरान कहा कि आदेशों के बावजूद भी विज्ञापन प्रकाशित करना कहीं से भी सही नही है. कोर्ट में जस्टिस अहसानुद्दीन अमानुल्लाह खुद अखबार लेकर अदालत आए. सुनवाई के दौरान जस्टिस अमानुल्लाह ने कहा कि आपमें (पतंजलि) कोर्ट के आदेश के बाद भी यह विज्ञापन लाने का साहस और गट्स रहा. अब हम एक बहुत सख्त आदेश पारित करने जा रहे हैं. हमें ऐसा इसलिए करना पड़ रहा है क्योंकि आप कोर्ट को उकसा रहे हैं. कोर्ट ने सुनवाई के दौरान पूछा कि आप कैसे कह सकते हैं कि आप बीमारी को ठीक कर देंगे? हमारी चेतावनी के बावजूद आप कह रहे हैं कि हमारी चीज़ें रसायन आधारित दवाओं से बेहतर हैं? 

कोर्ट ने आगे कहा कि केंद्र सरकार को भी इस पर एक्शन लेना चाहिए. बता दें कि 29 नवंबर 2023 को पतंजलि आयुर्वेद के विज्ञापनों और उसके स्वामी बाबा रामदेव के बयानों पर आपत्ति जताने वाली इंडियन मेडिकल एसोसिएशन की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने सख्ती दिखाई थी. बाबा रामदेव के बयानों और विज्ञापनों में एलोपैथी और उसकी दवाओं व टीकाकरण के विज्ञापनों के खिलाफ इंडियन मेडिकल एसोसिएशन की याचिका पर सुनवाई करते हुए जस्टिस अहसानुद्दीन अमानुल्लाह और जस्टिस प्रशांत कुमार मिश्र की पीठ ने पतंजलि द्वारा एलोपैथ को लेकर भ्रामक दावे और विज्ञापन प्रकाशित करने के लिए पतंजलि को फटकार लगाई थी. 

पीठ ने पतंजलि पर भविष्य में ऐसे विज्ञापनों और बयानों पर भारी जुर्माना लगाने की चेतावनी दी है. जस्टिस अमानुल्ला ने कहा  कि भविष्य में ऐसा करने पर प्रति उत्पाद विज्ञापन पर एक करोड़ रुपए जुर्माना लगाया जाएगा. कोर्ट ने एलोपैथ की दवाओं और टीकाकरण के खिलाफ पतंजलि द्वारा कोई भी भ्रामक विज्ञापन या गलत दावा न करने को कहा है .कोर्ट ने आगाह किया कि न कोई ऐसा विज्ञापन प्रकाशित किया जाए और न ही मीडिया में कोई बयान दिया जाए.

कोर्ट ने कहा कि हम इस मामले को एलोपैथ बनाम आयुर्वेद की बहस नहीं बनाना चाहते है. बल्कि याचिकाकर्ताओं ने जो मुद्दा उठाया है उसका समाधान ढूंढना चाहते हैं. इसके अलावा कोर्ट ने कहा कि केंद्र सरकार भ्रामक चिकित्सा विज्ञापनों से निपटने के लिए एक योजना कोर्ट के सामने रखे. दरअसल, इंडियन मेडिकल एसोसिएशन ने पतंजलि द्वारा एलोपैथ के विज्ञापनों के खिलाफ याचिका दाखिल कर उनपर रोक लगाए जाने की मांग वाली याचिका पर सुनवाई कर रहा है. IMA की तरफ से उन विज्ञापनों पर रोक लगाई जाने और उनके खिलाफ कार्रवाई की जाने की मांग की है. 

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