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कोन्दा भैरा के गोठ- व्यंग्यकार सुशील भोले…

आजकाल कहाँ-कहाँ के लोगन धरम-पंथ के प्रचारक बन के धमक देथें जी भैरा. उंकर चरित्तर ल जानबे त गजब अलकर घलो जनाथे.
-कइसे का होगे जी कोंदा?
-अरे का बतावौं संगी.. काली हमर घर एक झन गुरु के चेला मन आए रिहिन हें. काहत रिहिन हें- ओकरेच गुरु ह परमात्मा आय, वो ह हमन ला सबो किसम के पाप-ताप ले मुक्ति देवा के जीवन-मरन के चक्र ले मुक्त कर देही. फेर पाछू वोकर गुरु के बारे म गम पाएंव त तरुवा धर लेंव संगी.. वोकर गुरु तो असल म गुरुघंटाल हे.
-अच्छा.. कइसे गढ़न के?
-अभी वो गुरु ह नारी हिनमान के सजा काटत जेल म धंधाय हे.
-ददा रे.. हमला अइसन मनले बांच के रेहे के जरूरत हे संगी. फेर हमर छत्तीसगढ़ ह आध्यात्मिक रूप ले अतका समृद्ध हे, के हमला आने देश-राज के न कोनो गुरु के जरूरत हे, न ग्रंथ के अउ न ही अइसन कोनो भगवान के.

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