जल, जंगल,जमीन के रक्षा बर सबो मनखे ल आघु आये ल लगही जंगल ल बचाना सबो के जिम्मेदारी आये-

छत्तीसगढ़ म कटत हसदेव जंगल के मुदा धीरे-धीरे पूरा विश्व म बगरत हे, सबले बढ़े प्रकृति के दोहन ये जंगल म होवत हे ऐखर कारण ये मुदा ल बगरना भी चाही, काबर की ल,जंगल,जमीन के जरूरत सिर्फ गांव म जंगल क्षेत्र म निवास करईया आदिवासी मनखे या छत्तीसगढ़िया मन ल नइ चाही, ऐखर जरूरत हर एक मनखे ल लगही अउ जल जंगल जमीन के रक्षा बर हर एक मनखे ल आघु आये ल लगही तभे भारत देश के फेफड़ा कहे जाने वाला हसदेव जंगल के विनाश होये ले बच सकथे, जइसे मनखे ल जीवन जिये बर शुद्ध हवा के जरूरत सबो दिन लगही, जेखर पूर्ति केवल प्राकृतिक ही कर सकथे.
ऐखर ले पहली घलोक हमन ह कोरोना काल के बेरा म ऑक्सीजन के कमी ल झेल चुके हन तेखर बाद भी नइ सुधरबो त हमनला प्राकृतिक ह दुबारा सुधरे के मौके नइ दिही, इतिहास जानथे की मनखे ये धरती म कतना भी अति कर लेवय, प्राकृतिक के कतना भी दोहन कर लेवय, प्राकृतिक ह ओला चुप-चाप सहिथे लेकिन जेन दिन धरती दाई ह अउ प्राकृतिक ह अपन रौद्र रूप म आथे त पूरा के पूरा देश ल अपन संग बोहा के ले जाथे, कंकड़ पत्थर असन मनखे मन ये दुनिया ले उड़ाये लगथे जेला बचाये बर कोनो कुछु नइ कर सकें, ऐखर बर बेरा रहत समझे के जरूरत हे अउ अतना बड़े जंगल ल उजड़े ले बचाये के जिम्मेदारी हर एक मनखे के हवय तेला समझ के अपन जिम्मेदारी निभाये के बेरा आगे हे.
जल-जंगल-जमीन बचही तभे मनखे के जीव बच सकही, जंगल के विनाश कर के कंपनी लगाना, जंगल के विनाश कर के खदान बना देना ऐखर दुष्प्रभाव हमर अवइया पीढ़ी ल झेले ल लगही, वइसे भी जेन चीज आप ल प्राकृतिक दे सकथे वो चीज मशीन नइ दे सकय दुनो के बैलेंस ल बरोबर ले के चले ल लगही प्राकृतिक के दोहन करे ले अवइया बेरा म प्राकृतिक के कहर ल घलोक झेले बर तइयार रहे ल लगही।