छत्तीसगढ़ सवर्ण संघर्ष समिति के संयोजक संदीप तिवारी ने महामहिम राज्यपाल महोदय को बीजापुर जिलाधीश अनुराग पांडेय के अनैतिक आधार पर स्थानांतरण के संबंध में सौंपा ज्ञापन

रायपुर । छत्तीसगढ़ सवर्ण संघर्ष समिति के संयोजक संदीप तिवारी ने महामहिम राज्यपाल महोदय को पत्र के माध्यम से बीजापुर जिलाधीश अनुराग पांडेय जी के अनैतिक आधार पर स्थानांतरण को संज्ञान में लाते हुए मांग की है कि इस पर उचित कार्यवाही करने की कृपा करें। संदीप तिवारी ने कहा कि बीजापुर जिलाधीश अनुराग पांडेय जी का भारतीय जनता पार्टी के नेता के द्वारा धमकी दिए जाने के पश्चात् स्थानांतरण किया जाना सरकार के कार्यों पर प्रश्नचिन्ह लगाता है। सरकारी मुलाजिम का स्थानांतरण होना आम बात है और यह एक प्रक्रिया है, लेकिन भारतीय जनता पार्टी के नेता के द्वारा फोन पर धमकी दिए जाने के पश्चात् बीजापुर जिलाधीश अनुराग पांडेय जी का स्थानांतरण 12 दिन बाद हो जाता है, यह अपने आप में दर्शाता है कि किस प्रकार भारतीय जनता पार्टी के नेता शासकीय कर्मचारियों से दबाव में काम करा रहे हैं। जिन्होंने 6 माह मे ही अपनी पृथक पहचान कार्य के आधार पर बनाया था, वैसे आईएएस अफसर का स्थानांतरण कर दिया जाना सरासर गलत है।
संदीप तिवारी ने कहा कि हालांकि सरकार जब चाहे किसी का भी स्थानान्तरण कहीं भी कभी भी कर सकती है लेकिन अनुराग पांडे जी की कार्यकुशलता की चर्चा न केवल बीजापुर वरन छ.ग. के कई जिलों में इसलिए होती है क्योंकि वो आदिवासी बच्चों की शिक्षा को लेकर कई नवाचार के साथ आदिवासी महिलाओं के जीवन स्तर को ऊपर उठाने के लिए धरातल में काम किये थे। अगर उन्हें कुछ और समय दिया जाता तो बीजापुर की तसवीर और तकदीर दोनों बदलने का जज़बा अनुराग पांडेय जी मे है। निहायत ईमानदार और सदैव सकारात्मक सोच रखने वाले ऐसे दबंग व्यक्तित्व को एक नेता सरे आम धमकी देता है जिसके ऊपर 33 से ज्यादा गंभीर मामले चल रहे हों और सरकार उस टुटपुँजिया नेता जिसने कलेक्टर को यह कहा कि उसके रास्ते में आने वाले को यहां से जाना निश्चित है। और फिर कलेक्टर का ठीक 12 दिन बाद ट्रांसफर मात्र इसलिये हो जाना कि ऐसे नेता का जवाब श्री पांडेय ने उसी की भाषा में दिया। श्री पांडेय पहले कलेक्टर होंगे जो मोटरसाइकिल से घनघोर नक्सली छेत्र में गाँव मे बैठका करते थे। अगर सरकार ऐसे ईमानदारी से कार्य करने वालों के प्रति यही भाव रखेगी तो अच्छे कार्य करने वाले हतोत्साहित होंगे, जिसका खामियाजा आम जनता को भोगना पड़ेगा क्योंकि ऐसे में कोई अधिकारी मन लगाकर और जनहित के काम को नहीं करेंगे।