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उद्योगों में मेडिकल फेसिलिटी न होने से श्रमिकों के बीमार पढऩे पर हाईकोर्ट ने जताया दुख 

बिलासपुर । औद्योगिक प्रदूषण से वहां कार्यरत श्रमिकों के बीमार होने के मामले में गुरुवार को शासन का जवाब प्रस्तुत नहीं हो पाया। चीफ जस्टिस की डिवीजन बेंच ने सुनवाई के दौरान गरीब श्रमिकों के लिए मेडिकल सुविधा न होने पर दुख जताते हुए कहा कि इससे श्रमिकों की मौत भी हो जाती है। कोर्ट ने उनकी हालत सुधारने की जरूरत बताई। प्रदेश भर में संचालित फ्लाई ऐश आधारित प्लांटों में काम करने वाले मजदूर सीमेंट और लोहे की डस्ट से बीमार पड़ रहे हैं। उनको इससे सिलकोसिस बीमारी हो रही है, और मजदूरों के फेफड़े बुरी तरह प्रभावित हो रहे हैं। इसे लेकर हाईकोर्ट में उत्कल सेवा समिति , लक्ष्मी चौहान , गोविन्द अग्रवाल , अमरनाथ अग्रवाल और एक स्व संज्ञान मामले में जनहित याचिका के तौर पर सुनवाई चल रही है। सुप्रीम कोर्ट ने भी देश के कई राज्यों को भी ऐसी ही स्थिति को लेकर सुधार के लिए निर्देशित किया था। हाईकोर्ट ने इस मामले में एडवोकेट प्रतीक शर्मा और पी आर पाटनकर समेत 11 लोगों को न्यायमित्र नियुक्त किया था। इनसे प्रदेश की इन औद्योगिक इकाइयों में प्रदूषण के कारण हो रही परेशानी के बारे में जानकारी मंगाई थी। शासन के वकील ने बताया था कि राज्य में करीब ऐसे 60 स्पंज आयरन या सीमेंट प्लांट हैं , जहाँ इस प्रकार की शिकायत आ रही है। इसके बाद चीफ जस्टिस की डिवीजन बेंच ने न्यायमित्रों को हाईकोर्ट कमिश्नर बनाकर डाटा रिपोर्ट प्रस्तुत करने को कहा था। इसके बाद हुई सुनवाई में चीफ जस्टिस की डिवीजन बेंच में सभी कोर्ट कमिश्नरों ने रिपोर्ट प्रस्तुत कर दी थी। गुरुवार को हुई सुनवाई में शासन की ओर से बताया गया कि, अभी इस पर कार्य योजना और रिपोर्ट तैयार नहीं हो सकी है। इसके बाद कोर्ट ने कहा कि, गरीब श्रमिकों की स्थिति बहुत खराब है। उनकी स्थिति को तत्काल सुधारने की जरूरत है। काम की परिस्थितियां और पर्यावरण सही करना होगा। शासन को अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत करने के निर्देश देते हुए मामले में अब समर वेकेशन के बाद सुनवाई रखी गई है।

सडक़ दुर्घटनाओं पर भी चिंता, कोर्ट ने डाटा प्रस्तुत करने के निर्देश दिए
श्रमिकों के प्रकरण की सुनवाई के दौरान ही चीफ जस्टिस रमेश सिन्हा ने प्रदेश में सडक दुर्घटनाओं से हो रही मौतों पर चिंता व्यक्त करते हुए पिछले 6 माह में हुई दुर्घटनाओं का डाटा प्रस्तुत करने को कहा है ताकि इस पर एक जनहित याचिका दर्ज हो सके। उन्होंने कहा कि हम आये दिन इस तरह की खबरें  सुनते और पढ़ते रहते हैं कि सडक पर किसी न किसी की जान एक्सीडेंट में जा रही है। लगातार हादसे हो रहे हैं, लोग अपनी जान गवां रहे हैं। इस पर शासन क्या कदम उठा रहा है? हम शासन से चाहेंगे कि, वह पिछले 6 माह में कितने एक्सीडेंट हुए हैं इसकी रिपोर्ट दें ,इस पर हम एक पीआईएल रजिस्टर्ड करेंगे। उल्लेखनीय है कि इससे पूर्व  प्रदेश की खराब सडक़ों के मामले में जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए कोर्ट ने जनहित को ध्यान में रखते हुए रायपुर धनेली के पास से विधानसभा मार्ग के खराब होने पर चुनाव के दौरान भी टेंडर जारी करने का आदेश दिया ताकि नागरिकों को शीघ्र राहत प्रदान की जा सके।

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