कोन्दा भैरा के गोठ – व्यंग्यकार सुशील भोले

–बधाई हो जी भैरा तुंहर सरकार फेर लहुट आइस.
-तहूं ल बधाई संगी कोंदा.. अब लागथे फेर इहाँ के भाखा साहित्य के दिन बहुरही.
-महूं ल अइसने जनावत हे संगी.. छत्तीसगढ़िया के नारा लगाने वाले मन छत्तीसगढ़ राजभाषा आयोग के पॉंच बछर म घलो गठन नइ करे पाईन न शिक्षा के माध्यम बनाइन.. अउ बाकी अपेक्षा मन के तो बाते ल छोड़ दे, तब लोगन उंकर मन ऊपर अउ कतका भरोसा करतीन.
-सही आय जी.. सिरिफ सोंटा मरवाए अउ गेंड़ी चघे भर म छत्तीसगढ़ी अस्मिता के बढ़वार नइ हो जाय, जेन भाखा संस्कृति के नेंव के ठोस कारज होथे, तेन ल तो ए मन छुईन तक नहीं, तब जनता अउ कतका अगोरा करतीन.. चलव.. कोनो राजा बनय, हमला का नफा ते का नुकसान हे.. बस लोगन के मनसुभा फलित होवत राहय.. उंकर सपना अउ कारज पूरा होवत राहय ए जरूरी हे.
-सही आय संगी.. अब तो बस न्याय, विकास अउ अस्मिता के बढ़वार के बुलडोजर चले के अगोरा हे.